मैं जहां रहूँ
मैं कहीं भी हूँ
तेरी याद साथ है - २
किसी से कहूँ
के नहीं कहूँ
ये जो दिल की बात है
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है
पर छुपके इस दिल में तन्हाई पलती है
बस याद साथ है
तेरी याद साथ है - ३
मैं जहां रहूँ
मैं कहीं भी हूँ
तेरी याद साथ है
कहीं तो दिल में यादों की
एक सूली गड़ जाती है
कहीं हर एक तस्वीर बहुत ही धूंधली पड़ जाती है
कोइ नयी दुनिया के नये रंगो में खुश रहता है
कोइ सब कुछ पा के भी यह मन ही मन कहता है
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है
पर छुप के इस दिल में तन्हाई पलती है
बस याद साथ है
तेरी याद साथ है - ३
मैं जहां रहूँ
मैं कहीं भी हूँ
तेरी याद साथ है
कहीं तो बीते कल की जड़ें
दिल में ही उतर जाती है
कहीं जो धागे टूटे तो मालाएं बिखर जाती है
कोइ दिल में जगह नयी बातों के लिये रखता है
कोइ अपनी पलको पर यादों के दिये रखता है
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है
पर छुपके इस दिल में तन्हाई पलती है
बस याद साथ है
तेरी याद साथ है - ३
शायर - जावेद अख्तर
Friday, May 23, 2008
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